क्या खबर है … ?

क्या खबर है …?
खबर ये है कि
वतन जल रहा है
लोग अपने ही मतलब से
अपने ही मतलब का
कर रहें है
कहीं अंगारे है
कहीं पत्थर
उछाल रहें है
लोग वतन के लिए नहीं
बस …
अपने मतलब के लिए
कर रहे है
सड़के चौराहे बंद कर
न जाने वो किसके
हक के लिए लड़ रहें है
समझ नहीं आ रहा है
जोड़ने या तोड़ने के लिए
ये ज़ोर लगा रहें है ।।

बदल गये अब उदू … वतन के लिए

उदू = enemy, opponent
हर कोई लड़ रहा अपने ही जतन के लिए
नहीं रहा कोई जो लड़े अब वतन के लिए ।।

कहीं प्रदर्शन कहीं आग कहीं पर इंकलाब है
लगता है बदल गये अब उदू वतन के लिए ।।

रोज़गारी गर होती इश्क़ की तो बेहतर होता
हर नज़र में है शोले अपने ही वतन के लिए ।।

न माटी का कर्ज़ चुकता है न दूध का घटता है
यूँ कहते कहते मिट गये कई वतन के लिए ।।

ये भी क्या जीना है यज्ञ फ़क़त अपने ही लिए
मर कर देख जी उठोगे तुम वतन के लिए ।।

अभिनंदन का वंदन… Abhinandan

अभिनंदन है ए वीर
कैसे शब्द पिरोउ मैं तेरे समान में
अदना सा हुआ मेरा हर अक्षर
अभिनंदन तेरे शौर्य-मान में ।।

है पराक्रम दिखलाया
तूने ऐसा अम्बर में
जिससे हिन्द का मान बढाया
मिल गया गौरव छनभर में ।।

मंज़िल तूने भेद दिया
शत्रु को तूने मोड़ दिया
अभिमान उसका तोड़ दिया
खंड खंड कर दिया उसको उसी के स्थान में ।।

निर्भय अड़िग खड़ा था
जा के पाकिस्तान में
तेरे हौसले पराक्रम को नमन
हो रहा आज सम्पूर्ण हिन्दुस्तान में ।।

गुज़ारिश… निवेदन… Request…

है ये इश्क़ है तो इश्क़ ही सही
तुझे नफरत है तो नफ़रत ही सही
ये जज्बा हर दिल में होता नहीं
वतन पे मिटना हर नसीब में होता नहीं ।।
–@–
यूं तो रंजिशें बहोत है मुझमें उनमें
कुछ ऐसा कर प्यार भर दे उनके मेरे दिल में
तुझसे अब यही गुज़ारिश है रब मेरे
अमन ही फैला रहे मेरे वतन में ।।

यूं तो है काँटे बहोत दामन में
गुल भी है देखो ज़रा गुलशन में
सुखे ना टूटे ना साख से ये गुल
तुझसे है गुज़ारिश तेरे दर में ।।

आग है हर सख्स के दिलों में
क्यों नफरत फैला है फिज़ाओं में
तुझसे गुज़ारिश है रब मेरे
बरसा दे मोहब्बत दिलों में ।।

चिराग… दीप…

रौशनी लेने वाले थे बहोत
वो तन्हा चौकसी करता रहा
रात भर आते रहे तूफां के थपेड़े
चिराग था तन्हा लड़ता रहा ।।

उसे बुझाने को
मिल गये हो पूरे कायनात जैसे
ठंड बारिश आँधियों थे लू के रेले
चिराग था तन्हा लड़ता रहा ।।

अंधेरों को राह चिराग ने ही दिखाया था
मतलबी थे वो फूँक मारने आया था
चिराग में तेल कम था उम्मीद ज्यादा
चिराग था तन्हा लड़ता रहा ।।

प्राणहीन … Breathless

मेरे शहर में रहती है
जो मेरे दिल में बसती है
कभी जिसमें मैं
डूब जाया करता था
अपना थकान मिटा
चैन पाया करता था
अब वो सुखी सुखी सी
बुझी बुझी सी लगती है
मेरे स्वार्थ ने काट दिये है वृक्ष सारे
लांघ दिये है मैं सीमाऐं सारे
तोड़ दिये है पार ओर छोर
इस कारण से अब वो ताल
सुखी सुखी लगती है
अब ये जीवन रुखी रुखी सी
प्राणहीन लगती है ।।

जाने मुझे ऐसे क्या हुआ ?

मैं दीवाना कुछ ऐसा हुआ
ऐसे जैसे वो मेरे आदत में सुमार हुआ
जब जुबाँ से लफ्ज़ निकलते है
तुम्हारी तारीफ़ निकलते है
तुमको सजदा करते है
वन्दे मातरम् ही कहते है
जय हिन्द ही कहते है
बार बार कहते है
जाने मुझे ऐसे क्या हुआ ?

कुछ धर्म के ठेकेदारों से
कुछ खदर पहनेवालों से
बात बात पर तुझे मुझे
लड़ा जाते है
हमारी एकता को तोड़ जाते है
हमे अराजक बना जाते है
हमे मतलबी बना जाते है
जाने क्यों खुद के
जरुरतों के लिये मैं मजबूर हुआ
जाने क्यों मुझे
खुद से अब नफरत हुआ ?

जहन में बसता हिन्दुस्तां है
दिलों में जुबाँ पे बस एक ही नाम है
पर जान कर खता कर जाते है
कभी ऐसे कभी वैसे बहक जाते है
अपात्र योग्यता को चुन जाते है
जाने क्यों खुद के
जरुरतों के लिये मजबूर हुआ
जाने क्यों मैं कुसूरवार हुआ
जाने क्यों अब मैं गुनहगार हुआ ?

जाने मुझे ऐसे क्या हुआ ?

मैं दीवाना कुछ ऐसा हुआ
ऐसे जैसे वो मेरे आदत में सुमार हुआ
जब जुबाँ से लफ्ज़ निकलते है
तुम्हारी तारीफ़ निकलते है
तुमको सजदा करते है
वन्दे मातरम् ही कहते है
जय हिन्द ही कहते है
बार बार कहते है
जाने मुझे ऐसे क्या हुआ ?

कुछ धर्म के ठेकेदारों से
कुछ खदर पहनेवालों से
बात बात पर तुझे मुझे
लड़ा जाते है
हमारी एकता को तोड़ जाते है
हमे अराजक बना जाते है
हमे मतलबी बना जाते है
जाने क्यों खुद के
जरुरतों के लिये मैं मजबूर हुआ
जाने क्यों मुझे
खुद से अब नफरत हुआ ?

जहन में बसता हिन्दुस्तां है
दिलों में जुबाँ पे बस एक ही नाम है
पर जान कर खता कर जाते है
कभी ऐसे कभी वैसे बहक जाते है
अपात्र योग्यता को चुन जाते है
जाने क्यों खुद के
जरुरतों के लिये मजबूर हुआ
जाने क्यों मैं कुसूरवार हुआ
जाने क्यों अब मैं गुनहगार हुआ ?

हिन्दी है तो हिन्द है … Hindi

हिन्दी है तो हिन्द है…
हिन्दी शब्द भावनाओं से भरे है
हिन्दी शब्द धर्म से परे है
हिन्दी शब्द अहिंसा से भरे है
हिन्दी शब्द हिंसा से परे है
हिन्दी शब्द विश्वास से भरे है
हिन्दी शब्द द्वेष से परे है
हिन्दी शब्द शौर्य से भरे है
हिन्दी शब्द अहंकार से परे है
हिन्दी शब्द त्याग से भरे है
हिन्दी शब्द स्वार्थ से परे है
हिन्दी शब्द प्रेम से भरे है
हिन्दी शब्द छलावा से परे है
हिन्दी शब्द एकता से भरे है
क्योंकि …. हिन्दी है तो हिन्द है ।।