सब मतलब है मतलब है
ढोल तासे मंजीरा घण्टी बेमतलब कौन बजाए
ये दौड़ भाग भाई दौड़ भाग
हर कोई राजनीति में दौड़ लगाए
जिसे वो माने गुने नहीं वो भी
गंगा में गोता लगाए
जिनको जिसकी विसर्जन यात्रा चुभती थी
वो ही अब उनकी ही पाठ सुनाए
धर्म कर्म है सब दिखावे के
मतलब पे जनेऊ बाहर निकल जाए
जाट पात पंत में बाँट कर
ये सब बस माल दबाए
दिखते है उठाते है एक दूसरे पे ऊँगलियाँ
पर मतलब पे एक हो जाए
इन्हें बेहाल जनता न देश दिखे
इन्हें तो बस अपनी खुर्सी ही नज़र आए ।।
