और देश का क्या … ?

हिंदी मेरी प्यारी हिंदी
प्रत्येक मुखारगबिन्दु में नहीं रहे
अब भी
बोल चाल तो होती है
ऐसे तेरे मेरे बीच
पर उत्कृष्ट विशिष्ट
लोगों में खो गये
यूँ हम
अब भी मान देतें है… और
हिंदी को सर्वोच्च स्थान देतें है
जहाँ हिंदी यदा कदा बोली जाये
हम उस पाठशाला में
अपने बच्चों को भेज देतें है
कार्यालयों के कार्य हिंदी में
और साक्षत्कार और परीक्षा
विदेशी भाषा मे लेते है
जब हिंदी हमारा
अभिमान स्वभिमान है
तो इसे क्यों खोते है
हिंदी से ही हिंद की पहचान है
तो क्यों वो हम खोते है
अपने ही व्यक्तित्व का
विचार कर रहे सब
और देश का क्या… ?
और देश का क्या… ?
उसे क्यों खोते हैं ।।

धोखा … Cheat … फरेब … Fraud …

है हर अक्स पे धोखा
मतलब ज़रा अपना देख
परख रहे है अपने यहाँ
संभल कर ज़रा आईने देख ।1।

न सता इश्क़ के दीवानों को
ज़रा उनके हालत तो देख
दर-बदर से फिर रहे है
मंदिर माज़िद चौबारे देख ।2।

हुई सल्तनत तबाह कितने
आस्तीनों पे अपने झांक के देख
ना तूने ना मैं भरोसा किया
हुये कितने टुकड़े आज देश देख ।3।

रकीबों से कोई गिला नहीं
हबीबों की चाल देख
ढा गये चट्टन भी यहाँ
सरपरस्त चूहों के सुराख देख ।4।

फूल … महकने दो

कुछ वहम ही रहने दो
ख़्वाब बिखरे है मेरे
झुठ ही सजने दो
सच बहोत डरावना है
इश्क़ पाक है पुरनूर है
ये बात रहने दो ।।

हादसे हमने बहोत देखें है
अब चूर चूर होने दो
कब तक आखिर कब तक
फूल कुचलेंगे ये हैवान
मैं शीशा हूँ फिर भी
कुछ को तो चुभ जाऊँगा टकराने दो
आओ कोशिश करें
फूल खिलने दो महकने दो ।।

मैं कट रहा था …

मैं कट रहा था…
क्योंकि मैं सीधा खड़ा था
मैं कट रहा था…
क्योकि मैं सच कह रहा था
मैं कट रहा था…
क्योंकि, लोग झुठ पे जी रहे थे
वो झूठ का दावा चल रहा था
और लोग…
जान कर यकीन कर रहे थे
वो सब जी रहे थे और जी रहे है, जो
आढ़े टेढ़े अपना हाँथ पैर फैलाये थे
और जंगल में… बस
सीधे, पेड़ कट रहे थे ।।

अंतर्द्वंद … दुविधा … कशमकश

Part 3

मेरा देश कुरुक्षेत्र हुआ
कोई पांडव कोई कौरव हुआ
इस युद्ध में अनगिनत
निर्दोषों का वध हुआ ।।

धर्म किस ओर है
कृष्ण किस ओर है
जन को बस
जन धन का हानि हुआ
हस्तिनापुर फिर संग्राम की ओर है
भीष्म नहीं गुरु द्रोण नहीं
कृष्ण नहीं है तो जाने सारथी कौन है
ये युद्ध हुआ अब तो बेलगाम हुआ ।।

दुर्योधन किसे माने युधिष्ठिर कौन है
जैसे अभिमन्यु का हाल हुआ
जा फसे चक्रव्यूह पे और निकलना ना जाने
अब जनता का बस यही हाल हुआ
अंतर्द्वंद में है मन
इस दुविधा से मन बोझल हुआ
इस संग्राम पे
कौन पांडव कौन कौरव हुआ ।।

संभल… , संभल… ज़रा

मिज़ाज चेहरा घड़ी घड़ी क्यों बदल रहा
संभल ज़मीर तेरा, कहीं बदल न जाये ।1।

यज्ञ क्यों ये, हर्फ़ हर्फ़ झूठ तेरा
संभल सच तेरा, कहीं झूठ बन न जाये |2|

तेरी फरियाद भी कुबूल होगी
संभल दर्द तेरा, कहीं आह बन न जाये |3|

मुक्क़दर पे यकीं है तो, सब्र रख
संभल जल्दबाज़ी तेरा, कहीं पीछे… कुछ, छूट न जाये |4|

रेखाँयें तो बनती बिगड़ती है
संभल शौक तेरा, कहीं चाल बदल न जाये |5|

Quote… 8 सच…. Truth

सुनना है लोग आज मुझसे खफा होने लगे है
सुनना है लोग आज मुझे भूलने लगे है
क्या करें, चुभ जाता हूँ
क्या करें, कडुवा हो जाता हूँ
क्या करें, तीखा लग जाता हूँ
अब मैं कुछ कहता नहीं सकता
क्या करें सच हूँ, मीठा नहीं हो पाता हूँ ।।