सिरमौर

क्या बदला है और क्या बदल जाएगा
देखते है ये सिरमौर क्या बना पाएगा ।।

सुर्खियाँ बटोरेगा क्या कुछ काम होगा
या फिर ये अखबारों में बस रह जाएगा ।।

एक धर्म कई पंत में बट गये है आज
ये जरूरत के मुताबिक हमें तोड़े जाएगा ।।

ये वबा किसी धर्म वर्ग पंत को पहचाने न
सिरमौर मेरे कर्म कर नहीं तो देर हो जाएगा ।।

कुछ सीख यज्ञ कैसे लड़ना है एक हो कर
नहीं लड़ा तो तेरा ये अस्तित्व मिट जाएगा ।।

बे-मतलब कौन

सब मतलब है मतलब है
ढोल तासे मंजीरा घण्टी बेमतलब कौन बजाए
ये दौड़ भाग भाई दौड़ भाग
हर कोई राजनीति में दौड़ लगाए
जिसे वो माने गुने नहीं वो भी
गंगा में गोता लगाए
जिनको जिसकी विसर्जन यात्रा चुभती थी
वो ही अब उनकी ही पाठ सुनाए
धर्म कर्म है सब दिखावे के
मतलब पे जनेऊ बाहर निकल जाए
जाट पात पंत में बाँट कर
ये सब बस माल दबाए
दिखते है उठाते है एक दूसरे पे ऊँगलियाँ
पर मतलब पे एक हो जाए
इन्हें बेहाल जनता न देश दिखे
इन्हें तो बस अपनी खुर्सी ही नज़र आए ।।

बस शोर गूंजे …

देश बट गया है दलों में
छोटे बड़े मजहबीयों में
आज कोई भारतीय नज़र
नहीं आता भारतीयों में ।1।

कई विषधर उलगे है विष
अपने मतलब के दंगलों में
जनता बिचारी पीस रही
उनके स्वार्थ के जातों में ।2।

कहीं लड़ाई वंदे मातरम
है कहीं श्री राम भक्तों में
चूल्हे कभी कभी जलती
बेरोज़गारों और भूखों में ।3।

जयहिंद फौज कि नईया डूबी
अपने ही अहिंसा के रागों में
ये वसुंधरा बेचैन हो रही
इन जिहादी आगों में ।4।

झुलस रहे तेरे मेरे स्वप्न
राजनीति के आँगरों में
गूंज रही अलग अलग स्वर
हर एक गलियारों में ।5।

एकता का कोई जोर नहीं
देश बटी राजनीति नारों में
न वंदे मातरम न जय हिंद
बस शोर गूंजे अलगावों में ।6।

क्या खबर है … ?

क्या खबर है …?
खबर ये है कि
वतन जल रहा है
लोग अपने ही मतलब से
अपने ही मतलब का
कर रहें है
कहीं अंगारे है
कहीं पत्थर
उछाल रहें है
लोग वतन के लिए नहीं
बस …
अपने मतलब के लिए
कर रहे है
सड़के चौराहे बंद कर
न जाने वो किसके
हक के लिए लड़ रहें है
समझ नहीं आ रहा है
जोड़ने या तोड़ने के लिए
ये ज़ोर लगा रहें है ।।

🇮🇳 राष्ट्र कि जीत हुई … 🇮🇳

सियासी बिगुल बजी थी
आगाज़ वो शंखनाद खत्म हुई
अब वो टकरार खत्म हुई
कोई हारा कोई जीता
पर…
पूर्ण बहुमत की सरकार बना कर
आज जनता की
राष्ट्र कि जीत हुई ।।

मतदान कर …

छुट्टी मना कर
राष्ट्र को दुर्बल नहीं करना है
ये वो लोकतंत्र का पर्व है
जहाँ अपना कर्तव्य पूरा करना है
झोक दो आने स्वार्थ लोभ
वेदी की अग्नि में
किसी और से नहीं
अपने आप से ही लड़ना है ।।

क्यों टूट रहा क्यों बिखर रहा
अपने ही हाँथ राष्ट्र को बेच रहा
चंद रुपयों के लिए
अपना ईमान बेच रहा
खरीदार ऐसे वही होते है
जो विश्वास के क़ाबिल नहीं होते है
ना कर तू नादानी ना करने दे उसे मनमानी
राष्ट्र को ऐसे न शर्मशार कर
छुट्टी मना औरों को ऐसे न गुमराह कर
“यज्ञ” तू अपना कर्म कर कर्तव्य कर
राष्ट्र के हित में अपना मतदान कर ।।

मेरा दिल बता…

मेरा दिल बता
तू किसे चुनेगा
किसी पार्टी को
या फिर व्यक्तित्व को
मेरा दिल बता
तू देश के लिए जीयेगा
या फिर अपने स्वार्थ को ।1।

कोई बड़ा हो कर
छोटा आदमी बन रहा
कोई अपने ही
शौर्य को खंडन कर रहा
कोई देश का
टुकड़ों की बात कर रहा
कोई विकास कोई कर्ज
की बात कर रहा
पर…
हम तुम क्या कर रहे है
उन सभी के कृत्यों को
बढ़ावा दे रहे है ।2।

भुला करेंगे …

फैला कर अराजकता अब न्याय करेंगे
दबा कर कर्ज में अब माफ करेंगे
भूल चुके थे जो अपने देश को
अब वो हिंदुस्तान की बात करेंगे
हर मुमकिन कोशिश करेंगे
दावे और विकास की बात करेंगे
घर घर संपन्नता रोजगार की बात करेंगे
तेरा मेरा समर्थन पाने को
हर संभव लुभावने बातें करेंगे
अगर नहीं पाया समर्थन तो बाज़ार खोल
तुझे मुझे खरीदने के हर चाल चलेंगे
कुछ तेरे घर चाय नास्ता
कुछ मेरे घर रोटी तोड़ेंगे
अपने भविष्य संवारने के लिए
भूत पे पर्दा डालने के कोशिश करेंगे
संभल कर ऐसे लोगों से
हार जीत के बाद वो हमें भूला करेंगे
देश का विकास हिंदुस्तान को भुला करेंगे ।।

देश का पर्व…. Election

देश का पर्व है
लोकतंत्र का पर्व है
निर्पेक्ष स्वच्छंद
सम्मिलित होना है
उत्सव है…
नय उमंग उल्लास के संग
हमें मतदान करना है ।।

अपने मन के लोभ को मार
जो भ्रष्ट है उसे उखाड़ फेंकना है
अपने पक्ष को रखने के लिए
अपने प्रश्न पूछने के लिए
अपने मताधिकार का उपयोग करना है ।।

जो सेवादार है जो तलबगार है
राष्ट्र के सेवा को उसे चुनना है
अपने अधिकार का प्रयोग कर
राष्ट्र को सुदृढ़ करना है ।।
🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳 जय हिंद 🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳