कभी हम कभी वो नंदान थे
कभी हम कभी वो इश्क़ से अनजान थे
कभी हम कभी वो नज़रे चुराये
नज़रों में हया का पर्दा होता तो अच्छा होता… मगर
कभी हम’में कभी उन्हें कुछ गुमान थे ||
प्रीत
न हम न वो पहल कर सके
न हम न वो एतबार कर सके
न हम न वो इकरार कर सके
वक़्त ने दूरियां बढ़ा दिये
न हम न वो पहल कर सके ||
दो जिस्म करीब आ गये…
दो जिस्म करीब आ गये… मगर
दिल से दिल की दुरी … अभी तय करना है
हया का पर्दा … हया का पर्दा…
नज़रों से … अभी दूर करना है
झांक कर उनकी नज़रों में
कभी दुनिया को… कभी खुद को देखना है ||
प्रेम में…. सब गुम ?
वचन अनमोल है
सत्य कडुवा है
माँ ममता है
पिता दयित्व है
दोस्ती विश्वास है
प्रेम त्याग है
पाप अधर्म है
पुण्य सेवा है
भक्ति देश है
भार पाप है
हल्का मन है
बुद्धि अनंत है
प्रकाश ज्ञान है
अंधेरा अज्ञान है
विजय प्रयास है
कठिन सत्य है
सरल झूठ है
और… सब गुम
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सिर्फ… एक तुम !!!!
बेचैन दिल …
देखो… तुम मेरा नाम
यूं ना लिया करो
दिल बेचैन हो जाता है ।।
तुम्हें क्या खबर…
संभालना… दिल को
मुश्किल हो जाता है ।।
कदम…
उसके कहते ही, मैं संभल जाता हूँ… वरना
कदम तो मेरे, आज भी लड़खड़ा जाते है ।।
तमन्ना… चाहत … इच्छा …
दुनियाँ जीत कर तुझसे हार जाऊँ
ये तमन्ना मेरी, ये जग, तुझपे हार जाऊँ ।।
गवारा नहीं…
मैं बदल जाऊँ तो अच्छा है
तुम्हरी बेवफाई गवारा नहीं ।।
खता अपनी जगह…
खता अपनी जगह, इश्क़ अपनी जगह
तुम जारी रखो सितम को , मेरी चाहत अपनी जगह ।।