आज फिर चौपाल सजी है बैठक लगी है
आज फिर मेरे इश्क़ पे तोहमत लगी है ।।
देखतें है मेरे वफ़ा का क्या सिला होगा
देखतें है क्या मेरे हक का फैसला होगा ।।
आज फिर चौपाल सजी है बैठक लगी है
आज फिर मेरे इश्क़ पे तोहमत लगी है ।।
देखतें है मेरे वफ़ा का क्या सिला होगा
देखतें है क्या मेरे हक का फैसला होगा ।।
ये शाम बीत जाएगी हर शाम की तरह
याद फैल जाएगी किसी आग की तरह ।।
डूब जाएंगे तेरे यादों में लम्हा लम्हा
रंग लायेगी ये किसी जाम की तरह ।।
कोरा है पन्ना अभी लिखी पढ़ी जाएगी
तेरा मेरा इश्क़ रहेगा मिसाल की तरह ।।
रंग रुप बदल जाएगी वक़्त की तरह
यज्ञ रह जाएगी इश्क़ इतिहास की तरह ।।
लो एक वर्ष बीत गया
कलमकारों के बीच
लड़खड़ाते हुये मुझे चलते हुये
मन का स्पर्श व्यथा
व्यक्त करते शब्दों को संजोते हुये
अब एक रिस्ता सा बन गया है
निभाते निभाते जुड़ते जुड़ते
आप सभी के प्रतिक्रियाओं से
सीख मिला , प्रेरणा मिला
साहस मिला, प्रोत्साहन मिला
आपका सभी का आभार, धन्यवाद
इस प्यार को देने के लिए
लो अब बीत चुका
पहला वर्ष हमारे साथ के ।।
तेरे पास आके, मैं खुद से दूर हो जाता हूँ
ऐ जिंदगी तुझे पाने को तरस जाता हूँ ।।
यार तेरी यारी भी अजीब है
जितना तू पास आता है उतना मैं दूर हो जाता हूँ ।।
न जाने वो वजह क्या है
न चाहते हुये भी, खींचा तेरी ओर जाता हूँ ।।
झूम जाता हूँ डूब जाता हूँ
नशे में तेरे मैं इस कदर डूब जाता हूँ ।।
नतीजे आज भी इश्क़ के वो ही है… जो कल था ।।
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मैं रहूँ ना रहूँ मेरे अल्फ़ाज़ जाविदां हैं, कल मिलू ना मिलू यह अंदाज़ अलहदा है...
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