हर्ज़ क्या है …

चलते रहना देख जिंदगी का शर्त क्या है
यज्ञ थम गये तो जिंदगी का अर्थ क्या है ।।

जब किसीके काम ही न आये तो
फिर जुबां खोलने का तर्क क्या है ।।

हाँथ थाम ले अपने माता पिता का
तू समझ उनका ये कर्ज़ क्या है ।।

तुम तो न बरसाओ अंगारे यज्ञ
फिर तुझमें और उसमें फ़र्क़ क्या है ।।

जब न किये किसके मोहब्बत तो
फिर ऐसी जिंदगी का अर्थ क्या है ।।

माना वो ख़्वाब यज्ञ न होने पूरे
पर यारों देखने में हर्ज़ क्या है ।।

मरज़ मेरा इश्क़ का

दूर से भी पास से भी
चेहरा वो भूला कर भी
रात को भी दिन को भी
जाग कर भी सो कर भी
याद दिल से भुला कर भी
देखा रे … यज्ञ
जतन और भी कर देखा भी
पर ये रोग गई नई जाती नई
ये मरज़ मेरा इश्क़ का क्यों ???

अपने नज़रों से देखा कर

ये दिल अपने हद में रहा कर
उसे भूलने का कह है
कोई न शिक़वा न गिला कर ।।

वो समझ रहे है खेल कोई
तो उसे समझने दो खेल यज्ञ
तू इश्क़ को इश्क़ समझा कर ।।

और ये शिकायतें तेरी बेमानी है
तुमने जिसे चाह जिसे माँगा
नफ़रत अपनों से न किया कर ।।

ज़माने के बातों पे न आना यज्ञ
यहाँ सब धोखा है ज़माने को
अपने नज़रों से देखा कर ।।

एक ख़्वाब था …

एक ख़्वाब था वो जहाँ मैं रहता था
प्यार ही प्यार था जहाँ मैं रहता था ।।
जिसका मोल नही था न ही बिकता था
जहाँ मोहब्बत हर दिलों में बसता था ।।
दिलों में न रंजिश गिला न सिकवा
जहाँ बीज मोहब्बत का फूटता था ।।
आबोहवा में ज़हर न थी न थी अंगारे
जहाँ हर हाँथ दुआ के लिए उठता था ।।
अब तो खरीदार बाज़ार अंगार भी है
ऐसे तो हिंद के आवाम नहीं जीता था ।।
जो नारी का स्वभिमान न खोने देता था
बस वतन के वास्ते जीता था मरता था ।।

कैसे थे वो वासिंदे क्या ख़्वाब था जो कभी
नफ़रत नहीं फैलाया प्यार ही बंटाते थे ?

ग़रीब सा बदन मेरा …

धूप ओढ़ लेता है
ग़रीब सा बदन मेरा
के ये भीग जाता है
कभी अपने आँसूओं से
कभी अपने ही घरौंदे में
यूँ हर मौसम देख लेता है
ग़रीब सा बदन मेरा ।।
गिरहे से पैर बाहर
निकल जाता है जब
अपने ही चादर में तब
सिकुड़ सा जाता है
ग़रीब सा बदन मेरा ।।


पसीने से लथपथ
तरुवर की छाया में
बुखार सा तपता है
यूँ हर मौसम देख लेता है
ग़रीब सा बदन मेरा ।।
एक महीने की है जलन
इस जेठ महीने की
मेरे भीतर पेट में
ऐसी ही आग है भूख की
जो हर महीने सहता है
ग़रीब सा बदन मेरा ।।

वो प्यार भरे शब्द ….

तुमने अंग्रेजी में कहा था
जिसे मैंने हिंदी में दोहराया था
भाषाऐं अलग अलग थी
पर भावना तो एक था
अब तुम लौट आओ
मैं अंग्रेजी में कह दूँगा
तुम हिंदी में दोहरा लेना
वो प्यार भरे शब्द …!!!

क्या यही है सिला …

पुराने संदूक में
यादों की सौगात मिला
कोई खज़ाना तो नहीं
पर तस्वीर हज़ार मिला ।।

कहीं हम साथ खड़े थे
तो कहीं हम पास
जिंदगी एक सफर है
तुम जो बदल गये
तो फिर ये कैसा गिला ।।

पर आज भी तेरी
वो छुवन याद है
साँसों को तेरी
महक याद है
के यही तक़दीर है मेरा
के बस ये इंतज़ार है
हाँथों में तस्वीर खत
और पलकें नम है
मोहब्बत का
क्या यही है सिला ।।

हाँथ मिलने लगे हैं …

ऐसा क्या गुनाह किया लोग मिलने लगे है
मेरे मिटने के ये सभी दुआ करने लगे है ।।

शहर के लोग एक जुट होने लगे है
मेरे मोहब्बत पर पहरा लगाने लगे है ।।

चलो ये मेरी मोहब्बत कुछ तो काम आई
के ऊँगली उठने को हाँथ मिलने लगे है ।।

कई दिनों से मैं तीरगी में हूँ तन्हा हूँ
के तेरी छुवन की यादों में जीने लगे है ।।

सारा कुछ मेरे नज़रों का धोखा था यज्ञ
आज लोग रिश्तों को आजमाने लगे है ।।

मेरे संग संग

पलकों में सौलब उठा है क्या
मेरे संग संग ये चला है क्या ।।

उसे भुला ये झूठ कहता है क्यों
देख तेरे नज़रों में जमा है क्या ।।

चल चल तू चल अपनी राह
तेरे थमने से वक़्त थमा है क्या ।।

अकेला था अकेला है यज्ञ
आइनों में तू ढूंढ रहा है क्या ।।