
रोज़ देखता हूँ सुनता हूँ
रोज़ तेरी ही बात
अपने दिल से करता हूँ
पर क्यों वो मुझे
देख नहीं पाती
सुन नहीं पाती
समझ नहीं पाती
ऐसा क्यों है … ?
क्या दिल से दिल का
फासला लम्बा है ?
क्यों दिल से दिल तक
जाना मुश्किल है ?
क्यों तेरा मुझे
समझना मुश्किल है ?
पर…
क्यों मुझे तुझे
भुलाना मुश्किल है ?