उम्र का कोई मेल नहीं
वो उम्र भी कितना अच्छा था
जब दादी नानी की
कहानी लुभाती थी ।।
वो दौर भी क्या खूब था
जब जुबान मीठी लगती थी ।।
बेवजह झगड़ा कर
कुछ पल में संग हो जाते थे ।।
बेवजह इसके उसके घर चले जाते थे
कुछ चीज को देख मन में
पाने की ज़िद हो आती थी ।।
समझ नहीं था तब…
पर अच्छा था
आज अपना पराया सब जान गये
हम से मैं होना को जान गये
तेरी मेरी की कहानी जान गये
मेल मिलाव अपने
हम उम्र से ही होता है अब
रोक टोक अब, दादी नानी की चुभती है
रंज दोस्तो का लंबा चलता है
और हाँ बेवजह अब
उसके घर जाना भी नहीं होता है
कुछ पाने की ज़िद को
टाल नहीं सकता कोई ।।
जाने के कैसा दौर है
जिसने दादी नानी की
कहानियों से दूर तो किया
और उनका जबान
कड़वी लगने लगी …
गर मैं समझदार हुआ
तो क्या फायदा
ना जाने कितने
बचपन की लुभानी
सुहानी कड़ियाँ
पीछे छूट गये ।।
Month: August 2019
अलविदा … Goodbye
अलविदा अब तुम
ये ना कहना
जाती हो तो जाओ
पर अलविदा तुम
ये ना कहना ।।
मैं जानता हूँ
… कि
तुम नहीं मिलोगे कभी
पर एक
झुठा आश
रहने देना
बस अलविदा तुम
ये ना कहना ।।
ओ रे गोबिंद …
कृष्ण मेरे
तुम कभी कान्हा बन
माखन चुराया
एक हो कर कैसे
दूर गंगन का माखन खाया ।1।
तुम कभी कन्हैया बन
कैसे कैसे रास रचाया
जीवन का मधुर तान सुनाया ।2।
कभी मोहना बन
बंसी की तान पे जग को नचाया
नन्हे नन्हे कदमों से
माँ यशोदा का घर शोर मचाया ।3।
कभी नन्हें शिशु बन
मईया का ममता पाया
तो कभी स्वयं में ही ब्रम्हांड दिखाया ।4।
कभी सखा बन
मित्र के संग खेले खेला
तो कभी असुर नाश कर
जग को खेल दिखाया ।5।
धर्म रक्षा को
कभी सुदर्शन कभी धनुष
तुमने है उठाया
जग कल्याण को
तुमने ही गीता सुनाया ।6।
कहीं वासुदेव कहीं कृष्ण
तुम कहलाया
भक्त कि लाज रखने
नारी कि अस्मिता
बचाने को तुम
दौड़ कर आया ।7।
मित्र से मित्रता निभाया
तो सुदामा के कुटिया को
तुमने ही महल बनाया
कभी भगवन बन
भक्त का मान बढ़ाया
दुर्योधन के मेवा त्याग
विदुर के साग खाया ।8।
कभी गोपाल बन
वन वन गायों को है चराया
इंद्र के अभिमान झुकने को
तुमने ही गोबर्धन पर्वत है उठाया ।9।
राधे कृष्ण कहूँ या राधे राधे
तुमने ही जग में प्रेम धुन बजाया
अन्ततः सत्य का जीत है
तुमने ही बतलाया ।10।
किस नाम से पुकारूँ
तुझे ओ रे गोबिंद
प्रेम भक्ति शक्ति
करुणा ममता दया के सागर
बस तेरे हर रूप को
मैं यज्ञ करता हूँ प्रणाम ।11।
फैसला …
आज फिर चौपाल सजी है बैठक लगी है
आज फिर मेरे इश्क़ पे तोहमत लगी है ।।
देखतें है मेरे वफ़ा का क्या सिला होगा
देखतें है क्या मेरे हक का फैसला होगा ।।
पिंजरे का पंछी …
पिंजरे का पंछी
पाता तो है
सारा सुख
… पर
व्यथित रहता है
अपने आज़ादी के लिए ।1।
मेरा मन भी
मेरे उस बुद्धि के
जो संसार सुख तो देता है
… पर
तरसता रहता है
अपने प्यार के लिए ।2।
छोड़ कर सब
निकल तो गया था
सब कुछ पाने को
… पर
तड़पता रहता है
अपने दोस्तों के लिए ।3।
अक्स तुम्हारा …
अपना अक्स देखता हूँ कि तुम्हारा
लोग कहते है कि ये आईना है
सच ही दिखायेगा तुम्हारा ।1।
हर आहट मुझे डरा देती है
कि लोग ना देख ले
मेरे चेहरे पे अक्स तुम्हारा ।2।
इश्क़ हो या जाम-ऐ-शाम
नज़र में फरेब बहकता है
मंज़र मंज़र चलता है अक्स तुम्हारा ।3।
जमाना जान गई हम मान गये
निगाहों में तुम ही तुम हो, अब
तू भी स्वीकार कर प्यार हमारा ।4।
इतना … आसान नहीं …
झुठ के जंगल में सच कहना
आज बाज़र में ईमान बचाना
इतना … आसान नहीं …
देख कर दुनिया के हालत
राह-ऐ-मोहब्बत पर चलना
इतना … आसान नहीं ।।
तूफां या सैलाब भी आ जाये
माँ कि दुआओं को टकराना
इतना … आसान नहीं ।।
जिस जहन में इश्क़-ऐ-वतन हो
यज्ञ ऐसे दिवाने मतवाले को डराना
इतना … आसान नहीं ।।
क्या करें …
बात जब भी करें बात उनकी ही करें
बईमान दिल है इस दिल का क्या करें ।।
नींद आती भी है नींद जाती भी है
आके ख्वाबों में वो सताती भी है
जब डूब ही गये मलाल रखना भी क्या
बात दिल की जब करें हौले हौले करें ।।
संगमरमर की मूरत कोई चाँदनी में भीगी सी तुम
बस हम तुम्हें देखें करें इश्क़ को अपने तरासा करें ।।
बात दिल जुबान से कहते रहे
जज्बात अपने लहू से लिखते रहे
पढ़ेंगे सुनेंगे कहानी जमाने कभी
आओ ऐसे अपनी मोहब्बत करें ।।
डराते हो …
उम्मीद का दामन थाम रखा है जो
उसे क्या अंधेरे से डराते हो ।।
तू अपना चाल चल
तुम क्यों घबराते हो ।।
मिलना होगा तो मिल जाएगी
मेरी मंज़िल कभी ना कभी
है डगर कठिन रक़ीब मेरे
पर तुम क्यों थरथराते हो ।।
क्या नसीब क्या तक़दीर है
देखी जाएगी यज्ञ अब तो
धूप छाँव है राह-ऐ-जिंदगी
देखें रोकने को क्या कर जाते हो ।।