खो गई … मासूमियत

आसमान में रंग भरते थे
चाँद सितारों के संग
जमीन में खेला करते थे
अब खो गई है वो मासूमियत
वो लड़कपन बालपन मोबाईल और गैजेटों में
सिमट गये है थम गये है कदम
अपने ही गलियारों में
न नोक झोंक न दौड़ भाग
बैठे है टीवी के सामने
या लिये मोबाईल किसी कोनो में ।।

आज आसमान में पतंग नहीं
गुल्ली डंडा खोखो कबड्डी नहीं
लुका छुपी भी अब कहीं गुम हुई
स्वच्छंद तितली भौरों से घुमा करते थे
अब बच्चों के दायरे सिमित हुई
ना दादा दादी के संग आमोद-प्रमोद
ना माँ बाप के संग बैठ विनोद
त्योहारों का ना उत्साह है
काटुन और वीडियो गेम में
बच्चे ऐसे रत हुये
न उमंग है खेल कूद का
न ललक है नई चीज का
बस घर के कोनों में
रंगीन बच्चे बेरंग हुये ।।

खैराती घर…

घूम रहे है गली मोहल्ले आज सरकार है
शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार नहीं माफी बना हथियार है ।।

केरोसिन अब मिलती नहीं, और गैस है गिनती के
बूंद से कम हो बढ़ जाता है लीटर पे, ऐसा तेल का हाहाकार है ।।

बच्चे घूम रहे है न काम न धाम
छोटी बड़ी सब पढ़ाई कर हो गये बेरोजगार है ।।

लूट लिए अपनों ने देश को
जा बैठे है विलायत पे वो यार है ।।

बचा है जो बूंद बूंद जमा होता है अपना ही कर है
उसे नेता उड़ा रहे बांट रहे बना दिये देश खैराती घर है ।।

ठेके के संस्कार…

माँ बाप दफ्तर पे, देखें है मैं बढ़ते तकरार
परवरिश कर रही बच्चों को, ठेके के संस्कार ।।

पिता है… कंस रावण से
बेटा राम का है दरकार ।।

जरुरत दिन बदिन बढ़ रही
जाने कैसी महंगाई की है मार ।।

संतोष भी तो मन करता नहीं
बंगला कार ए.सी. का करता है दरकार ।।

बच्चों की फीस भरे, या घर का राशन
महीने पुरते नहीं, और जिंदगानी फिर है उधार ।।

पक्ष न विपक्ष …

न पक्ष का
न विपक्ष का सोचता हूँ
जो भी सोचता हूँ
देश के लिए सोचता हूँ
हार जीत नेता का
और जनता
लोकतंत्र का त्यौहार मानती है
हार किसी की भी हो
जीत देश की होनी चाहिए
पक्ष विपक्ष मजबूत हो न हो
देश मजबूत होना चाहिए
मात्र प्रत्याशी या पार्टी के लिए नहीं
वोट देश के लिए होना चाहिए
उसे चयन करो कोई स्वार्थ मतलब के लिए नहीं
जो समर्पित राष्ट के लिए होना चाहिए ।।