एक शब्द … One word…

एक शब्द
मैं पूजा जिसे
वो एक शब्द
मेरा आस्था है जिसमें
वो एक शब्द
छोटा है
लिखने में पढ़ने में
किन्तु परन्तु
भावार्थ…
गहरा है
सागर जैसे
प्रेम है करुणा है
दया है शालीन है
ममता अमृत भरा है
एक ही गागर में जैसे
बहती है
जीवन धारा जिससे
वो एक शब्द… है
… माँ
माँ… ईश्वर हो जैसे ।।

गुज़ारिश… निवेदन… Request…

है ये इश्क़ है तो इश्क़ ही सही
तुझे नफरत है तो नफ़रत ही सही
ये जज्बा हर दिल में होता नहीं
वतन पे मिटना हर नसीब में होता नहीं ।।
–@–
यूं तो रंजिशें बहोत है मुझमें उनमें
कुछ ऐसा कर प्यार भर दे उनके मेरे दिल में
तुझसे अब यही गुज़ारिश है रब मेरे
अमन ही फैला रहे मेरे वतन में ।।

यूं तो है काँटे बहोत दामन में
गुल भी है देखो ज़रा गुलशन में
सुखे ना टूटे ना साख से ये गुल
तुझसे है गुज़ारिश तेरे दर में ।।

आग है हर सख्स के दिलों में
क्यों नफरत फैला है फिज़ाओं में
तुझसे गुज़ारिश है रब मेरे
बरसा दे मोहब्बत दिलों में ।।

चल… सफर … यात्रा … Journey …

अगर सितारे है गर्दिश में
तो चांदनी संग चल
है अगर अंधेरा घना
तो एक उम्मीद ले कर चल ।।

थमने की कोई बात नहीं
तू हर बाज़ी चल
जीत उनको मुबारक
तू हार कर चल ।।

ये तो महज इक खेमा था
तू मंजिल की चाल चल
फकत गुल ही तो नहीं गुलिस्ताँ में
तू काँटों के साथ चल ।।

चिराग… दीप…

रौशनी लेने वाले थे बहोत
वो तन्हा चौकसी करता रहा
रात भर आते रहे तूफां के थपेड़े
चिराग था तन्हा लड़ता रहा ।।

उसे बुझाने को
मिल गये हो पूरे कायनात जैसे
ठंड बारिश आँधियों थे लू के रेले
चिराग था तन्हा लड़ता रहा ।।

अंधेरों को राह चिराग ने ही दिखाया था
मतलबी थे वो फूँक मारने आया था
चिराग में तेल कम था उम्मीद ज्यादा
चिराग था तन्हा लड़ता रहा ।।

वन्दे मातरम् बोलेंगे हम

ये खौफ क्यों … ?
ये खौफ क्यों जीतेंगे हम
तन से मन से दिल से
वन्दे मातरम् बोलेंगे हम ।1।

फ़रेब की जिंदगी जैसे भी हो
झुठ की रातें चाहे लंबी हो
छट.. जायेंगे
टिमटिमाते फरेबी सितारे
छुप… जायेंगे
सच तो…
सच तो सूरज है
जब निकलेंगे
ये सब दमकना
भूल जायेंगे ।2।

जिसे ऐतराज है
रखे…
हम तो
कहते जायेंगे
उसे ना हो
हमे तो है
इश्क़ मोहब्बत
वतन से
और…
करते जायेंगे
वन्दे मातरम्
कहते जायेंगे ।3।

जुबाँ से भी
दिल से भी
कहते जायेंगे
हिन्दी है हम
हिन्दी है हम
कहते जायेंगे
जिस मिट्टी में
जन्म लिया
उसका वंदन
करते जायेंगे
झूम कर
चुम कर
वन्दे मातरम्
कहते जायेंगे ।4।

वतन का लाल – नेताजी

जिस खूं में
उबाल नहीं
जिस खूं में
वतन के लिये
प्यार नहीं
उस रवानगी के
हम क़ायल नहीं
जिसे में
वतन के लिये
प्यार नहीं ।।

तुझसे मुझसे है
कहीं ऊपर
वतन से बड़ा कोई
प्यार नहीं
कुर्बान फ़ना
हो जाये जो
उससे बड़ा कोई
वतन का लाल नहीं ।।

विरासत की आजादी
बिखर रही है अब
मजहबी बातों से
बिखर रही है अब
लोकतंत्र राजशाही में
बदल रही है अब
बेमतलब अब कोई
हुक्मरान नहीं
जो लूटा दे
अपना सर्वस्व
ऐसा अब कोई
सेवा दार नहीं
अब किसी को
ऐसे वतन से
प्यार नहीं ।।

प्राणहीन … Breathless

मेरे शहर में रहती है
जो मेरे दिल में बसती है
कभी जिसमें मैं
डूब जाया करता था
अपना थकान मिटा
चैन पाया करता था
अब वो सुखी सुखी सी
बुझी बुझी सी लगती है
मेरे स्वार्थ ने काट दिये है वृक्ष सारे
लांघ दिये है मैं सीमाऐं सारे
तोड़ दिये है पार ओर छोर
इस कारण से अब वो ताल
सुखी सुखी लगती है
अब ये जीवन रुखी रुखी सी
प्राणहीन लगती है ।।

याद … Remember

भूल जाओ हम गुजरे वक़्त है याद करोगे किसी दिन
जब कभी दिल टूटेगा तुम्हारा तुम भी याद करोगे उस दिन ।।

अभी तो चैन सुकून है छोड़ देंगे जब साथ
ढल जायेगा संगमारी जिस्म तब याद करोगे उस दिन ।।

याद … Remember

भूल जाओ हम गुजरे वक़्त है याद करोगे किसी दिन
जब कभी दिल टूटेगा तुम्हारा तुम भी याद करोगे उस दिन ।।

अभी तो चैन सुकून है छोड़ देंगे जब साथ
ढल जायेगा संगमारी जिस्म तब याद करोगे उस दिन ।।