मजाक …

मजाक मैं… या
लोग मुझसे करते है
इश्क़ मैं… या
लोग मुझसे करते है ।।

हकीकत यही है कि…
लोग मुझे ज़ार ज़ार
बार बार…
… तन्हा करते है ।।

एक प्रश्न चिन्ह

एक प्रश्न चिन्ह
बन गया है … मोहब्बत
जैसे हो नेता
सही गलत का सवाल
बन गया है … मोहब्बत
जैसे हो नेता ।।

मैं करुँ तो अच्छा
दुजा कोई करे तो बुरा
जैसे हो नेता
मैं लूट लूँ चैन तो ठीक
दुजा कोई करे तो सजा
जैसे हो नेता ।।

इधर जाऊँ या उधर जाऊँ
जैसे कुआँ या हो खाई
पर, मन का आँगन नहीं मिला
जैसे हो नेता
कई दफा बदल दिये
जैसे कि कपड़े
पर, मन का खादी न मिला
जैसे कि नेता ।।

मैं दफन हो जाऊँ
या कर जाऊँ
राज तेरे सब सच्चा
राज मेरे सब झूठा
जैसे हो नेता ।।

धुआँ धुआँ
बस हो रहा
मैं जलाऊँ तो चूल्हा
दुजा जलाये तो घर
जैसे हो नेता ।।

कोई इश्तहारों पे है
कोई कतारों पर
अखबारों पे छापे वो मोहब्बत
मैं दिल का करुँ तो गुनाह
जैसे हो नेता ।।

#2 शायरी – एक ख़्याल

#1
मेरी चाले सब मात हुई
मेरी चलाकी सब नाकाम हुई
इश्क़ तुझे मैं परखने चला था
मेरे दिल में तुफाने आम हुई ।।

#2
तजुर्बा बहोत है मुझ में, अपना बात रखेने का
मेरे अंजामे शिकस्त को, दीवार पर लिखते रहे ।।
मेरे दीवाने परवाने है बहोत
इश्क़ कल भी पाक था आज भी पाक है
चाहे जमाना फसाने लिखते रहे सजा लिखते रहे ।।

#3
हिंदी अत्यंत सरल मृदु सहज है कहने और लिखने में
पर… ये मेरा बदलता भारत है
दुख की बात है कठिनाई हो रही है आज कहने और लिखने में ।।

#5
जुबां मेरी है मैं चाहे जो लिखूँ
दर्द मेरा है मैं चाहे इश्क़ लिखूँ ।।
नाम तेरा है तू कह दे तो गैर लिखूं
दिल पे मेरे फिर कोई जख़्म लिखूं ।।

#6
मेरी सच्चाई किसी ने न देख
मेरी बुराई को ही कुरेदते रहे सब ।।

#7
कायदे सलीके होंगे तुझमें
हम तो मोहब्बत के दीवाने है ।।

#8
ख़लबत ढूंढ रहा हूँ अपने ग़म पिघलने को
तायर तैयार है पर फैलाये चर्ख को छूने को ।।
चर्ख = आसमान
ख़लबत = एकांत
तायर = परिंदा

#9
अजब सा अदा अजब सा हुनर रखते है
वो नज़र मिला कर क़त्ल करते है ।।

#10
तू भी चला चल मैं भी रुकूँगा नहीं
मंजिल चाहे तुझे मिले या मुझे एक है ।।

लोगों की आदत है बीच दूरियाँ बढ़ाने की
रंज चाहे तुझसे मिटे या मुझसे, एक है ।।

#11
पहले टूट कर बिखरना चाहता था
अब जुड़ के रहना चाहता हूँ
ये ग़मे जिंदगी मैं तुझमें
डूब के रहना चाहता हूँ ।।

#13
यूँ तो है इंसां बहोत, मग़र इंसानियत बहोत कम है
ढूंढ लो अपने जमीर, क्या कुछ तुझ में कम है ।।

#14
किसी को चाहना खता हो गया
किसी को भूलना गुनाह हो गया
अब करे भी तो क्या करे
हमे से जो बेपनाह मोहब्बत हो गया ।।

#1 शायरी – एक ख्याल

ख़लबत = एकांत, तन्हाई
#1
न मेरा ख्यालात बदला न तेरा मिज़ाज बदला
बदलते रहे तो बस मोहतरमा के सवाल बदला ।।

#2
तेरे ख़लबत को आ मैं महफ़िल कर दूँ
आ तेरे नाम सहर शाम कर दूँ ।।

#3
किसी को क्या फर्क पड़ता है मेरे यार
तेरा ग़म तेरा मेरा ग़म मेरा है मेरे यार
इस भागती दौड़ती जिंदगी में
कौन किसको उठता संभालता है मेरे यार ।।

#4
दवा दुआ सब बेमायने है
इश्क़ तेरा ये रोग कैसा ।।

#5
बात अभी थमी नहीं है, रात अभी थमी नहीं है
सहर का इंतजार क्यों भला, ख़्वाब अभी थमी नहीं है ।।

#5
तुम मुझे सुन लो मैं तुम्हें सुन लूँ, ये बात अब फिज़ाओं में कहाँ
तुम मुझे पुकार लो मैं तुम्हें पुकार लूँ, ये ऐतबार अब रिश्तों में कहाँ ।।

#6
ये हुनर किसका है
तेरा जीत जाना या मेरा हार जाना ।।

#7
दिल बच के, चुभने का हुनर रखता हूँ
मैं सच हूँ, कड़वा हूँ तीखा लगता हूँ ।।

मेरे सख्सियत पे न जाना, नादान लगता हूँ
मुख़ातिर हो जाऊँ जब गुनाहगार लगता हूँ ।।

#8
मुझे इस भीड़ में , तेरे दिल का एक कोना चाहिए
मेरे कद की मिट्टी, खाक हो कर तेरे आँचल बहना चाहिए ।।

#9
चल कदम मेरे, हकीकत की ओर
छोड़ कर ख़्वाब, बंद पलकों की डोर ।।

सुनो ना …

सुनो ना…
मन के पीर लिख पाया
संसार के द्वेष लिख पाया
मित्र लिख पाया
शत्रु लिख पाया
अक्षर शब्द के मायने
विस्तृत न कर पाया
प्रेम तुझे लिखना
संभव न पाया… और
और… मेरा प्रेम तुम हो ।।

मायने एक है …

प्रीत
प्रेम
प्यार
मोहब्बत
इश्क़
शब्द अलग है
अर्थ एक है
नशा एक है
घाव एक है
दवा एक है
दुआ एक है
सजदा एक है
दुश्मन एक है
दोस्त एक है
कैदी एक है
परिंदा एक है
और एक हो… तुम
जिसके मायने एक है ।।

अंतर्द्वंद … 2

Part 1

मन की मनोदशा
आज विचित्र सा है
क्या करें क्या न करें
पे अटका हुआ है
मित्र – शत्रु या
है कौन अपने – पराये
पे उलझा हुआ है
कोई भेद नहीं अब
दिख रहा इनमें
सब के आचरण में… जैसे
एक घाट के हो …प्राणी
शासन अपने बचने को
शासन अपने हाथ लेने को
सब उल्टे पुल्टे जाल
बस फैला रहे ।1।

सहानुभूति तो इन्हें ऐसे है…जैसे
उनकी संपत्ति पर कोई
अधिकार जमा रहे
जब खुद की बारी आई तो
जम के दबा रहे ।2।

हर घाट पे संग्राम है
मेमने हिरण को
लोमड़ी बचा रहे
शेर के जाते ही
खुद ही युद्ध के
बिगुल बजा रहे
आपस में
समय समय पर
लड़ा रहे… और
हड्डी उनको दे
माँस स्वयं चबा रहे ।3।

कुछ रह गये हैं अब भी
निरक्षर प्राणी
है कुछ शिष्ट अशिष्ट भी
जो लोमड़ियों के शिकंजे में
आ जा रहे
एकत्र हो गये है
कुछ सियार लोमड़ी
जो सिंह को
आंखे दिखा रहे ।4।

पहले शेर ने
वन की संपदा को
दूर देश पहुचाया
क्षति पहुचाया, लाचार बनाया
अब जब हर घाट पर
सिंह का राज है
सिंह वन जीवन के
मूल को ही बदल रहे
खुशहाल है वन प्राणी
पर घाट पे पैहरे
मगरमच्छ लगा रहे ।5।

शेर लाचार है
लोमड़ी सियार लाचार है
और मुछ उखाड़ने को
सिंह का धेय बना रहे
सिंह की दहाड़ से
वन असन्तुलित है
और जल के बिना
जीवन सूखा… प्राणी
शेर लोमड़ी सियार के ग्रास बने
या घाट पे मगरमच्छ का
किस ओर जाये… मन
इस अंतर्द्वंद में उलझा हुआ है ।6।

हर बार रह जाता है
बस… अंतर्द्वंद
अंतर्द्वंद की पीड़ा कब शांत होगा
प्रश्न ये है कि… इस
अंतर्द्वंद से मन कब निकलेगा ?

To be continue … Part 3

बयां करती है …

भीगे अल्फ़ाज़ मेरे नज़रें बयां करती है
कुछ मेरे कुछ तुम्हारे दर्द बयां करती है ।।

हजार खुशियाँ छोड़ दूँ तेरे ग़म के लिए
खुशियाँ तो सिर्फ मतलब बयां करती है ।।

वो दिन में चिराग जल रखे है
तन्हा इश्क़ का डर बयां करती है ।।

रक़ीब-ऐ-जमाना के तंज से कौन बचा है
तू जाने न जाने पर इतिहास बयां करती है ।।

दोषी कौन … ?

पसीने टपक रहा
डीजल पेट्रोल के दाम बढ़ रहा
ये विषय है
ये विषय है… अब
आपस मे वार्तालाप करने को
जाने क्यों देश का
मुद्रा गिर रहा ।1।

चलो तर्क वितर्क करें
कौन उत्तरदायी है
डॉलर को ऊपर उठने को
चलो उँगली उठाते है
इसका दोष मढ़ने को
क्या ये सही होगा
मात्र उँगली उठाने को ।2।

चलो मंथन करते है
दोषी कौन ?
चलो अपने मन में झाँकते है
दोषी कौन ?
चलो कुछ कदम पैदल चलते है
पसीना टपकाने को
चलो प्रण करते है
बूँद बूँद बचाने को ।3।

प्रदूषण कम हो जायेगा
कुछ बूंद भी बच जायेगा
कभी हाँथी पे चार
कभी घोड़े पे दो
चलो छोड़ दें
अकेले, व्यर्थ , अकारण दौड़ने को ।4।

जो हमारे आवश्यकतायें का
लाभ उठा रहे
जो नीति बना रहे
कुछ समर्थन में
कुछ विरोध में संगठन बना रहे
चलो तैयार हो जाये
उनके वार निष्फल करने को ।5।